इस्लाम हिंसा का कभी समर्थन नही करता, सवाल सत्तापक्ष से ही पूछे जाते हैं- मोहमद अशरफ किछौछा

चित्तौड़गढ़, (सलमान)। इस्लाम हिंसा का कभी भी समर्थन नहीं करता है, किसी भी वजह से हिंसा का समर्थन नहीं किया जा सकता है, हिंसा हर हाल में गलत है और गलत ही रहेगी, हिंसा के रास्ते पर चलने वालों से हमारा कोई वास्ता नहीं है। यह बात ऑल इंडिया ओलमा मशाईख बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अशरफ की किछोछवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। सैय्यद सरदार अहमद अशरफी के तीन दिवसीय उर्स में सम्मिलित होने के लिए मंगलवार को चित्तौड़गढ़ पहुंचे। सैय्यद मोहम्मद अशरफ ने कुछ दिनों पूर्व उदयपुर में सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी के बाद एक व्यक्ति की हत्या पर उपजे हालात के संदर्भ में कहा कि सूफी व सुन्नी मुसलमान कभी भी हिंसा को पसंद नहीं करता है। हमारा एक ही पैगाम है मोहब्बत सबके लिए और नफरत किसी के लिए नहीं। हम किसी भी समस्या के समाधान के लिए बातचीत में यकीन करते हैं हिंसा में नहीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह भी गलत है कि किसी एक व्यक्ति के गलत कार्य को लेकर पूरे समुदाय या धर्म को जिम्मेदार ठहराया जाए। सैय्यद अशरफ ने कहा कि जो धर्म के नाम पर गलत कार्य करने वालों का कर्म ही बता देता है कि वह किसी धर्म से संबंधित नहीं है, जो किसी धर्म से जुड़ा होता है वह गलत कार्य कर ही नहीं सकता। धर्म का काम ही बुराइयों को दूर करना है, जब हम धर्म से दूर है तो हमसे बुरे काम हो सकते हैं, लेकिन जब धर्म के करीब होते हैं तो बुरे कामों से दूर हो जाते हैं। हिसा से किसी समुदाय या धर्म का कोई लेना देना नहीं, यह व्यक्ति की अपनी सोच है, जिसका हम पूरी तरह से खंडन करते हैं। उन्होंने कहा कि गलत कार्य करने वाले व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाए उसके धर्म को नहीं, इंसाफ का तकाजा यह है कि जिस ने गलत किया है हम सब मिलकर उसे गलत कहें और नियमानुसार कार्रवाई हो। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं जहां ऐसे व्यक्तियों के लिए स्पष्ट नियम है, जिसके तहत कानून अपना कार्य अवश्य करेगा। यदि कोई ऐसे कार्य का समर्थन करता है तो हम उसे भी गलत कहेंगे। उन्होंने कहा कि हिंसा करने वाले, नाहक किसी का खून करने वालों, जुल्म करने वालों का इस्लाम से संबंध हरगिज़ नहीं हो सकता, ऐसा व्यक्ति मुसलमान ही नहीं हो सकता जो नाइंसाफी करे। इस्लाम में ऐसी कोई तालीम नहीं है कि नाहक किसी का खून और हिंसा की जाए। ऐसे व्यक्ति सिर्फ इस्लाम को बदनाम करते हैं, हम इसका पूरी तरह खंडन करते हैं। देश के वर्तमान हालात को लेकर सैयद अशरफ ने कहा कि सवाल सत्तापक्ष से ही पूछे जाते हैं चाहे वह कानून व्यवस्था हो, चाहे बेरोजगारी हो, इसलिए जो भी सवाल हो रहे हैं वह विरोध की बुनियाद पर नहीं है। लेकिन किसी को कोई समस्या होगी तो सवाल भी सत्ता से ही किया जाएगा, यह एक जरूरत है। देश में सोशल मीडिया पर धर्म के प्रति अवांछित टिप्पणियों को लेकर उन्होंने कहा कि हमें संविधान ने विरोध का अधिकार दिया है, हम संविधान के दिए अधिकारों के अनुरूप ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध ज्ञापन देकर धरना प्रदर्शन कर कानून के दायरे में रहकर विरोध जताएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में है संविधान ने सभी को अपने अनुसार कानून के दायरे में रहकर जीवन जीने की आजादी दी है। व्यक्ति को खाने-पीने, पहनने का अपनी पसंद के अनुसार अधिकार दिया गया है, हमें समझदारी से काम लेते हुए देश के दुश्मनों की साजिश नाकाम करनी चाहिए। हम अपने धर्म के सकारात्मक नारे आजादी के साथ लगा सकते हैं। सैय्यद मोहम्मद अशरफ उर्स के दौरान बुधवार को कुल की रस्म में सम्मिलित होंगे। प्रेसवार्ता के दौरान सज्जादा नशीन मोहम्मद सलीम अशरफी, सज्जादानशीन युसूफ अशरफी, शहर काजी अब्दुल मुस्तफा, मुफ्ती उस्मान अशरफी आदि मौजूद रहे।

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