चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय पर स्थित आसरा विकास संस्थान ने मान्यता वापस ले ली हैं। वही इस संस्थान में रह रही 9 बालिकाओं को शुक्रवार को ही उदयपुर के राजकीय बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया है। जानकारी के अनुसार देखरेख, अनाथ और पॉक्सो से जुड़ी हुई नाबालिग बालिकाएं इस संस्थान में रह रही थी लेकिन संस्थान की प्रबंध कार्यकारणी की बैठक में चित्तौड़गढ़ स्थित होम शेल्टर को बंद करने का फैसला लेने के बाद आज से यह संस्थान बन्द हो जाएगा। आयुक्त और संयुक्त शासन सचिव के आदेश पर शेल्टर होम को खाली कर दिया गया।
बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सदस्य रमेश चंद्र दशोरा ने बताया कि चित्तौड़गढ़ में 10 सालों से संचालित आसरा विकास संस्था ओपन शेल्टर होम को आज 31 दिसंबर से बंद कर दिया जायेगा। इसके लिए शेल्टर होम में रह रहीं बालिकाओं को शुक्रवार को ही उदयपुर के राजकीय बालिका गृह में भेज दिया गया। कुछ दिनों पहले संस्थान के निदेशक भोजराज पदमपुरा ने उदयपुर में एक प्रबंध कार्यकारिणी की बैठक की थी, जिसमें सबकी सहमति से संस्थान की मान्यता वापस करने का फैसला किया गया था। इस फैसले को उन्होंने बाल अधिकारिता विभाग को भी भेजा। जिसके बाद आयुक्त और संयुक्त शासन सचिव का आदेश आया था कि बालिकाओं को 31 दिसंबर से पहले उदयपुर के राजकीय बालिका गृह में भेजा जाए। उन्होंने बताया कि यहां अनाथ, देखरेख वाली और पॉक्सो केस से जुड़े हुए बालिकाएं रहती थी। अभी वहां सात साल से 17 साल की 9 लड़कियां रह रही थी, जिन्हें शिफ्ट कर दिया गया। पॉक्सो केस से जुड़ी बालिकाओं को बार बार चित्तौड़ आना होगा और फॉलो अप के लिए भी राउंड लगाने होंगे। बाल कल्याण समिति ने जल्द से जल्द जिले में शेल्टर होम खोलने की मांग की है।
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