डूंगला (माय सर्कल न्यूज़@ ऋषभ जैन)। जस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय उपशाखा डूंगला की संगोष्ठी आदर्श विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय मंगलवाड में हुई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष रमेश चंद्र पुरोहित ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रमेश चंद्र पुष्करणा प्रदेश सचिव माध्यमिक शिक्षा रहे व विशिष्ट अतिथि लक्ष्मी लाल दोषी मंगलवाड रहे। मंच संचालन उपशाखा अध्यक्ष पूरणमल लोहार द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत उद्बोधन में सभा अध्यक्ष वर्दी सिंह रावत ने आमंत्रित अतिथियों का और उपस्थित उपशाखा कार्यकर्ताओं का स्वागत अभिनंदन करते हुए राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की कार्यप्रणाली और संगठन के बारे में जानकारी प्रदान की। उपशाखा अध्यक्ष पूरणमल लोहार कर्त्तव्य बोध पखवाड़ा कार्यक्रम परिचय में बताया कि संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती से 23 जनवरी सुभाष चंद्र बोस जयंती तक कर्तव्य बोध पखवाड़े के रूप में मनाते हुए सामाजिक और राष्ट्रहित के कार्य किए जाते हैं ।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रमेश चंद्र पुष्करणा प्रदेश सचिव माध्यमिक शिक्षा ने कहा कि कर्तव्य शब्द संस्कृत भाषा के कृ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है- करना ।भारतीय संस्कृति के अनुसार कर्तव्य पालन को धर्म बताया है। भारतीय कालगणना दुनिया की सबसे प्राचीन कालगणना है। हमारे मनीषियों ने कलयुग की शुरुआत से पूर्व ही इसके 4.5 लाख वर्ष की आयु की घोषणा की और इतने बड़े कालखंड में मानव संस्कृति की नव चेतना और संरक्षण के बारे में चिंतन किया। आज विश्व भारतीय ज्ञान को महत्व दे रहा है। अमेरिकी संसद द्वारा भारतीय विद्वानों का समय गणना की अद्भुत विज्ञान का अध्ययन करने हेतु नासा जैसी संस्थाओं में महत्व दिया जा रहा है और कंप्यूटर की भाषा के रूप में भी अब संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए संस्कृत के विद्वानों को नियुक्त करना और उन्हें उपयुक्त साधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। जर्मनी में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। इससे पहले भारतीय संस्कृति को दिखाने के लिए अंग्रेजों द्वारा देश को गडरिया सपेरों का देश बताया जाता था ।हमारे ही देश में विदेशी मेहमानों के आने पर सपेरों द्वारा कला प्रदर्शन दिखाने की व्यवस्था रही ,लेकिन आज हमारे देश ने अपने पुरातन संस्कृति के गौरव को पुनः प्राप्त करने की ओर अग्रसर है ।आज हमारे देश में आने वाले विदेशी मेहमान स्वर्ग से आने वाली मां गंगा के दर्शन हेतु गंगा आरती में शामिल होते हैं। अमेरिका जापान जैसे कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष गंगा दर्शन कर रहे हैं ।भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी जब इंग्लैंड गए तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों की कालगणना की विधि का प्रदर्शन और मूल्यांकन हो रहा था ,उसमें सबसे प्राचीन कालगणना भारत की रही ।इंडोनेशिया मुस्लिम राष्ट्र होते हुए भी एयरपोर्ट के प्रमुख स्थान पर भगवान गणेश जी की मूर्ति, एयरलाइंस का नाम गरुड़ एलाइंस रखा जाना और रामलीला मंचन आज भी किया जाता है। लेकिन भारत में अगर ऐसा हो तो इससे सांप्रदायिक रूप देकर विरोध होता है ।छोटे से देश फिजी में रामानंद सागर द्वारा रामायण का प्रसारण किया गया ।
आज पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति और भारत की चिकित्सा पद्धति को अपना रही है ।आज भारत की सबसे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा के जनक चरक और सुश्रुत रहे ।दुनिया में आयुर्वेद का चलन बढ़ रहा है क्योंकि आज सभी को एलोपैथी के साइड इफेक्ट समझ आ रहे हैं इस कारण सऊदी अरब मुस्लिम राष्ट्र होने पर भी बाबा रामदेव को अपने देश में आयुर्वेद केंद्र खोलकर चिकित्सा के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं हमारी परंपरा में नालंदा और तक्षशिला प्राचीन विश्वविद्यालय रहे इनमें 56 शास्त्रों का अध्ययन करवाया जाता था और गौरवशाली पूर्वजों ने दुनिया को मार्ग दिखाया इस परंपरा में हमारा हर कार्य वैज्ञानिक पद्धति से होता है हमारे मंदिरों में प्रातः काल चरणामृत के रूप में तुलसी पत्ता को पानी के साथ लिया जाता है इसका वैज्ञानिक प्रमाण आज की रिसर्च में सामने आया कि तुलसी कई बीमारियों का नाश करने की शक्ति रखती हैं। इसमें पारा होता है जिससे दांतो से चबाया जाना सही नहीं होता इसीलिए हमारे गुरुजनों ने पानी में मिलाकर चरणामृत के रूप में प्रातः देना शुरू किया इसी प्रकार हम गाय को माता मानते हैं पीपल बरगद को पूछते हैं इन सभी का महत्व आज की वैज्ञानिक खोज से स्पष्ट हो चुका है। हमारी संस्कृति हमारी संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति रही लेकिन मुगलों के अत्याचार और आधुनिक व्यवस्था ने इसे कम करने का रत्न किया ।आधुनिक शिक्षा संस्कार नैतिकता नहीं सिखा सकती, केवल पढ़कर अपना पेट भरने योग्य बनाने का लक्ष्य है ।पाश्चात्य वादी उपभोक्तावादी होते हैं जबकि हमारे यहां ज्ञान से सर्वांगीण विकास करते हुए अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना होता है। नैतिकता के समाप्त होने के कारण आज कई पेशे केवल व्यवसाय बन गए हैं जिसमें सिर्फ सामने वाले को लूट कर पैसा कमाना है लक्ष्य रह गया है। सबसे उत्तम पेशा शिक्षक का होता है। देश के प्रति हमारा कर्तव्य हमारे कार्य को और महान बनाता है जापान के नागरिक का उदाहरण देते हुए बताया कि हमें भी सिर्फ राष्ट्रीय चिंतन के लिए कार्य करना चाहिए हमारे देश में विरोध के नाम पर राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान किया जाता है जो उचित नहीं है। आज शिक्षक को इन सभी समस्याओं को देखते हुए बालक निर्माण का कार्य और अधिक चुनौती से कार्य करना है ।पढ़ाने के बाद भी शिक्षक को लगातार बालक के घर पर भी संपर्क रखा जाए तब वास्तव में हम समाज और राष्ट्र हित में अपना योगदान दे सकेंगे। कार्य करने वाला व्यक्ति सभी का सहयोगी होता है जबकि निठल्ला व्यक्त व्यक्ति कार्य हीन होते हुए भी किसी भी कार्य में दूसरों को समय नहीं देता। हमें भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाना है ।नैतिक शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है ,लेकिन हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है ।अतः हमें खुद तैयारी करके राष्ट्रीय हित में नैतिक शिक्षा भी देनी चाहिए इसके लिए पंडित विष्णु शर्मा और पंचतंत्र कहानियों का उदाहरण सामने रखा। आज शिक्षक को व्यापारी की तरह अपने शिक्षण और बालक की प्रोग्रेस का हिसाब रखना चाहिए क्योंकि बालक अनुसरण से सीखता है। कोई भी बालक को गाली नहीं सिखाता है लेकिन वह किसी और से स्वत:सिख जाता है ।आज हमें मानव निर्माण के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी के रूप में शिक्षक का कर्तव्य निभाना है ।हमें स्वामी विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस से प्रेरणा लेते हुए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए। कई बार हमारे शिक्षक ट्रांसफर या अन्य डर के कारण सत्य कहने से भी डरते हैं, जिस प्रकार सुभाष चंद्र बोस ने देश के लिए सिविल सेवा का सर्वोच्च पद ठुकरा कर राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित किया, डॉ हेडगेवार ने राष्ट्रीय चिंतन में सन 1925 में संघ की स्थापना की। इसी प्रकार हमें भी राष्ट्रहित में कार्य करना होगा ।हमारी नौकरी सैनिक की नौकरी की तुलना में अधिक उपयुक्त है, सैनिक माइनस 70 डिग्री में अपनी ड्यूटी करता है हमें उनसे प्रेरणा लेनी है ।हम अपने कर्तव्य के लिए संकल्प लें और राष्ट्र निर्माण में लग जाएं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि लक्ष्मी लाल दोषी ने बताया कि 12 जनवरी और 23 जनवरी दो महापुरुषों का जन्म है जिनसे हमें कर्तव्य बोध की प्रेरणा मिलती है ।उन्होंने स्वामी विवेकानंद के उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए, के संदेश से प्रेरणा लेते हुए हमें अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष रमेश चंद्र पुरोहित ने युवाओं का आह्वान करते हुए कठिन परिश्रम से शिक्षक पद पर चयन होने पर अपने शिक्षण कार्य को व्यापार नहीं व्यक्ति निर्माण राष्ट्र निर्माण का उद्देश्य बनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने बताया कि बालक गुरु से सीखते हैं वह आदर्श है ।अतः नई पीढ़ी को राष्ट्रहित में तैयार करना गुरु के रूप में शिक्षक का कर्तव्य है।शिक्षक संवेदनशील होकर बालकों का निर्माण करें। स्वामी विवेकानंद जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें अकेले ही नई शुरुआत करनी है ।समाज व राष्ट्र में शिक्षक सबसे आगे रहे श्रेष्ठ रहे। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय कभी भी अच्छे कार्यों का विरोध नहीं करता बल्कि उन्हें अपनाता है। सदैव श्रेष्ठ कार्य करता है, शिक्षक हित समाज हित राष्ट्रहित में कार्य करता है। निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण नहीं भूले से प्रेरणा लेते हुए सर्वस्व निर्माण के लिए कृत संकल्प है।
कार्यक्रम में उपशाखा डूंगला के पूर्व अध्यक्ष कन्हैयालाल कुलमी ने उपस्थित सभी अतिथियों और सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए सदैव संगठन के आह्वान पर अपना अमूल्य योगदान देने हेतु तत्पर रहने को कहा। कार्यक्रम के अंत में शिक्षक कार्यकर्ता नौरत मल रेगर द्वारा सामूहिक वंदे मातरम गायन के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर उपशाखा डूंगला के मंत्री कमलेश चौधरी चंदन सिंह शक्तावत हेमंत कुमार शर्मा दिनेश जाट राजमल जाट देवीलाल गाडरी नरेश कुमार व्यास मुरलीधर खारोल भंवर लाल शर्मा हीरालाल चंद्रावत पृथ्वीराज गुर्जर संघमित्रा मीणा प्रिया कुमारी निशा यादव अंकिता शिवरान गोमाराम चौधरी यदुनाथ सिंह सुरेश लोहार सत्यनारायण वैष्णव कैलाश चंद्र गर्ग जमनालाल धोबी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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