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राजस्थानी गीत, कविताओं व भजनों के रचयिता अध्यापक गणेश 'मनमौजी' का निधन

चित्तौड़गढ़, (सलमान)। सहज और सरल स्वभाव के धनी अध्यापक गणेश मनमौजी का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वो पिछले कई समय से बीमार चल रहे थे। मनमौजी ने अपने जीवन की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में रँगीलों राजस्थान की रचना की। इस रचना में प्रदेश का सुंदर चित्रण कर प्रसिद्धि पायी थी। अध्यापक गणेश मनमौजी को  कविताओं, राजस्थानी गीत, भजन लिखने का बहुत हुनर था। उन्होंने अपने जीवनकाल में ऐसे कई भजन की रचना की जो लोगों की जुबां पर रहे। अध्यापक गणेश मनमौजी भोपालसागर से स्थानांतरण होकर 1994 में उमण्ड स्कूल में जॉइन की। 1994 से लेकर 2013 तक का सफर उनका कपासन तहसील के उमण्ड स्कूल में रहा। इस कार्यकाल के दौरान वो दो साल के लिए लोक जुम्बिश राशमी में अपनी सेवाएं दी और वापस उमण्ड स्कूल आ गए। अध्यापक के रूप में गणेश मनमौजी ने 17-18 साल तक उमण्ड स्कूल में अपनी सेवाएं दी और यही से उनका रिटायरमेंट हुआ। सरल स्वभाव के होने से मनमौजी ने कई लोगों के दिलो में जगह बनाई। कुछ सालों तक वो स्काउट से भी जुड़े रहे। कई बार कवि सम्मेलन में भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी। राजस्थानी गीतों में सियाला की रात, रँगीलों राजस्थान, मारे मन में गणों गुमान रे जैसे कई गीतों की रचना की। भजनों में उनका प्रसिद्ध भजन 'सांवरिया सेठ की महिमा जानी रे, गुर्जर की गाया के खातिर बण गयो डाणी रे' रहा हैं। राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रचार हेतु लोक संवाद कार्यक्रमों में अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति देकर तहसील और जिला स्तर पर सम्मानित भी हुए थे। मनमौजी के निधन पर विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने शोक संवेदना व्यक्त की हैं। मनमौजी के दो पुत्र व एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़कर कर इस दुनिया को अलविदा कह गए। दो दिन पूर्व गणेश मनमौजी का 8 अगस्त को आकस्मिक निधन हो गया था। 

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