चित्तौड़गढ़, (सलमान)। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अपने ही हेड कांस्टेबल के खिलाफ रिश्वत की मांग करने का मुक दर्ज किया है। यह जानकारी देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो उदयपुर की चौकी पर रमेश शर्मा हेड कांस्टेबल तैनात है और चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार के तहसीलदार के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के मामले में वह गंगरार आया था और तहसीलदार की जांच कर रहा था। इसी दरमियान ब्यूरो के हैड कांस्टेबल रमेश शर्मा ने गंगरार के तहसीलदार से 5 लाख रूपये की मांग
की थी। यह मांग एक दलाल के मार्फत की थी ब्यूरो को इसकी भनक लग जाने पर एक टीम बनाकर इस मामले का सत्यापन कराया गया और सत्यापन के दौरान तहसीलदार से दलाल ने दो लाख रूपए प्राप्त कर लिए। एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि डिमांड के हिसाब से तीन लाख रुपए देना तय हुआ था। यह रुपए उदयपुर जिले के फतहनगर में एक दलाल को दिया जाना था। हेड कॉन्स्टेबल को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जयपुर की एक टीम भीलवाड़ा तक पहुंच चुकी थी। इसी दौरान हेड कॉन्स्टेबल रमेश शर्मा को इस बात की भनक लगी तो वह मौके से फरार हो गया। हेड कांस्टेबल के फरार होने का पता चला तो टीम भीलवाड़ा से वापस जयपुर लौट गई। रिश्वत की मांग करने का मुकदमा सोमवार शाम को दर्ज किया गया। जांच में अगर हेड कॉन्स्टेबल गलत निकला तो रमेश शर्मा को गिरफ्तार किया जाएगा।
गंगरार के तहसीलदार नरेश गुर्जर के खिलाफ किसी व्यक्ति ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई थी। यह शिकायत जनवरी माह में दर्ज हुई थी और इसके बाद हैड कांस्टेबल रमेश शर्मा ने किसी दलाल के मार्फत मिलने का ऑफर
दिया और बाद में 30 लाख रूपये देकर मामले का रफा दफा करने को कहा
तो तहसीलदार के हाथ पैर फूल गये। तहसीलदार नरेश गुर्जर ने एसीबी मुख्यालय को इस संबंध में अवगत कराया और दलाल के माध्यम से 5 लाख रूपये का समझौता किया और 9 फरवरी को एसीबी ने इस मामले का सत्यापन किया और रिकॉर्डिंग कर 2 लाख दे दिये, लेकिन शेष 3 लाख रूपये की राशि दिए जाने के दौरान हैड कांस्टेबल रमेश शर्मा भाग गया।
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