जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के इस्तीफे को लेकर हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा है कि दस दिन में फैसले से अवगत करवाया जाए। अगली सुनवाई 16 जनवरी तय की है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि इस मामले को अनिश्चितकाल के लिए लंबित नहीं रखा जा सकता है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता पीसी भंडारी को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति नहीं दी।
राजस्थान सरकार के 91 विधायकों के इस्तीफे के मामले में दायर याचिका पर स्पीकर और विधानसभा सभा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने याचिका पर जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है। कोर्ट ने दस दिन का समय देते हुए फैसले से अवगत कराने को कहा है।
महाधिवक्ता को मिला समय, राठौड़ ने पूछा-वे किसकी तरफ से कर रहे पैरवी
हाईकोर्ट ने महाधविक्ता (एजी) को विधायकों के इस्तीफे पर जवाब पेश करने के लिए दस दिन का समय दे दिया है। इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पूछा कि एजी किसकी तरफ से पैरवी कर रहे हैं। एजी सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे हैं या विधानसभा स्पीकर या सचिव की तरफ से। उपनेता ने बाद में कहा कि कुर्सी के इस किस्से में लोकतंत्र के साथ मजाक हो रहा है। आधी आबादी को रिप्रजेंट करने वाले विधायक कहते हैं कि जब विधायकों ने पद छोड़ दिया और अब दुबारा कहते हैं कि वे पद पर बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद 97 दिनों तक मंत्रिमंडल में रहे विधायकों ने फैसले किए वो सब गैर कानूनी हैं। राठौड़ ने यह भी कहा है कि संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और सचिव विधायकों के इस्तीफों पर जवाब मांगा है। अब 23 जवरी को बजट सत्र शुरू होने वाला है। इससे पहले निर्णय कर कोर्ट को बताना है।
इस्तीफे को लेकर आलाकमान के पास लंबित है मामला
आपको बता दें कि 25 सितंबर 2022 को गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए यूडीएच मंडी धारीवाल के बंगले पर विधायकों ने बैठक कर इस्तीफे देने का निर्णय किया था। इसके बाद स्पीकर को इस्तीफे सौंपे गए थे। यह मामला कांग्रेस में मुख्यमंत्री बदलने के विवाद से जुड़ा था। तब गहलोत समर्थकों ने पायलट के खिलाफ बयानबाजी की थी। इस मामले में कांग्रेस आलकमान में धारीवाल, विधायक महेश जोशी व धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी किए थे। तीनों के खिलाफ अब भी अनुशासनहीनता का मामला लंबित है।
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