डूंगला (विमल नलवाया)। संत ज्ञान की सरिता, संस्कार के पुंज और संस्कृति के सजग प्रहरी है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने आचार्य सम्राट डॉक्टर शिव मुनि की 51 दीक्षा जयंती के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता के बिना चरित्र का निर्माण विज्ञान और सरकार भी नहीं कर सकती है। साथ ही कहा कि निस्वार्थ भाव से संत माली बंद कर मानवता के बगीचे में समर्पित होंगे तभी वैचारिक क्रांति के माध्यम से विकास संभव है। मुनि कमलेश ने बताया कि महापुरुषों के ग्रंथों के ज्ञान को सही रूप में जनता के सामने प्रस्तुत करें जो मानवता के विकास में सहयोगी बने। राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि उदारवाद समन्वय और प्रेम और विश्व बंधुत्व की भावना को साकार रूप प्रदान करें वही सच्चा संत है।
जैन संत ने कहा कि कट्टरता और साधुता में 36 का आंकड़ा है। नशा मुक्त जीवनी साधुता मे प्रवेश कर सकता है। उप प्रवर्तनी महासती शांता कंवर, जय श्री आदि ने विचार व्यक्त किए। घनश्याम मुनि, गौतम मुनि ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। कौशल मुनि, अक्षत मुनि ने मंगलाचरण किया। मानमल लसोड़ ने समारोह की अध्यक्षता की। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश कुमार मेहता, उत्सव भाणावत, रमेश मेहता, दुर्गा शंकर शर्मा, नरेंद्र मेहता, दिवाकर मंच महिला शाखा उदयपुर महामंत्री संगीता भंडारी उदयपुर आदि कार्यकर्ताओं ने आचार्य श्री की दीक्षा जयंती के उपलक्ष में कार्यकर्ताओं ने गौ सेवा की।
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