आद्यगुरु शंकराचार्य एवं रामानुजाचार्य जयंती पर चतुर्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन

निंबाहेड़ा। राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान निंबाहेड़ा के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार वैशाख शुक्ल पंचमी को आदि गुरु शंकराचार्य एवं श्री श्री भाष्यकार स्वामी रामानुजाचार्य की जयंती पर चतुर्वेद पारायण का आयोजन किया गया। जिनमें चारों वेदों का पारायण बटुकों एवं आचार्यो द्वारा किया गया। कल्याण लोक स्थित यज्ञशाला में पूर्व दिशा में ऋग्वेद के विद्यार्थी आचार्य ओम पांडे के निर्देशन में श्वेत वस्त्र धारण कर बैठे, दक्षिण दिशा में आचार्य त्रिलोक के निर्देशन में पीत वस्त्र धारण कर बटुक बैठे, पश्चिम दिशा में सामवेद के आचार्य अमरीश त्रिपाठी अपने बटुकों के साथ एवं उत्तर दिशा में अथर्ववेद के आचार्य संदीप शर्मा अपने बटुकों के साथ बैठकर वेद पारायण कर अद्भुत माहौल तैयार किया। मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के सहायक शोध निदेशक डॉ दिलीपकुमार कर ने शंकराचार्य जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अद्वैत सिद्धांत के विषयों को साधारण भाषा में अनेक उदाहरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया। ऋषिकेश मिश्रा ने रामानुजाचार्य के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा प्रतिपादित भक्ति के मूल्य को समझा कर अपना विषय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कैलाशचंद्र मूंदड़ा ने अद्वैत और विशिष्टाद्वैत के विद्वानों से विषय को सुनकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सबको इनके जन्म जयंती की बधाइयां दी। उन्होंने कहा शेषावतार श्री कल्लाजी महाराज वेदों के साक्षी हैं एवं जहां पर वेद पाठ होता है वहां सदैव कल्याण होता है। उन्होंने समाज को भी आहूत किया कि वेदपाठ की परंपराओं को पुनः सर्वत्र जीवंत करने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में गोपाल शर्मा, प्रधानाचार्य वेदापीठ से रहे। धन्यवाद ज्ञापन संदीप शर्मा ने किया। संचालन ऋषिकेश मिश्र द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ विद्यार्थी मौजूद रहे। जिनमें हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अशोक शर्मा, संस्कृत विभाग से रचना शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ चंद्रवीरसिंह राजावत, सहायक कुलसचिव डॉ विकास चौधरी, ज्योतिष विभाग से डॉ मनीष शर्मा, संजय झलोया, साक्षी मिश्रा, हरिशंकर जोशी आदि उपस्थित रहे।

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