चित्तौड़गढ़ 20 अक्टूबर। स्क्रब टायॅफस को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सावधानी रखने की अपील की है।
मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रामकेश गुर्जर ने बताया कि स्क्रब टायॅफस एक संक्रामक बीमारी/रोग नही है। यह सामान्यतया पिस्सु के काटने से होता है। खेतो, खलिहानो में अथवा पशुओं के बाड़ों में पिस्सु (धुन) अर्थात परजीवी चिगार माईट्स पाई जाती है। चिगार माईट्स पालतु जानवर गाय, बैल बकरी, भैंस आदि में अधिक पाई जाती है। बरसात के मौसम मे रोग का फैलाव होता है। इसका ईलाज संम्भव है। जिले में समस्त चिकित्सा संस्थानो में निःशुल्क जांच/उपचार/दवाएं उपलब्ध है। इस रोग का वाहक चिगार माईट्स होती है जो पशुओ में पाई जाती है तथा चूहो के द्वारा प्रसारित होती है। यह बीमारी प्रायःमाईट्स के काटने पर मनुष्यो में होती है तथा माईट्स की आबादी प्रायः मानसुन पूर्व तथा बसंन्त ऋतु में सर्वाधिक होती है। इस दौरान खरपतवार तथा घास की वृद्वि सर्वाधिक होती है। यह माईट्स बड़ी घास के मैदान बगीचो जंगलो अत्यधिक वनस्पति वाले क्षैत्रो में स्थित दरारो तथा नमी वाले ईलाकों में पाई जा सकती है। वयस्क माईट्स केवल प्लांट मेटेरियल पर पाई जाती है।
इसके लक्षण है, मांस पेशियों में दर्द होना, शरीर के किसी भाग में त्वचा पर लाल दाने उभरे हो, पिस्सु के काटने वाली जगह पर काला धब्बा चकते बनकर गांठ बन जाना, सर्दी लग कर बुखार आना, बुखार के साथ तेज सिर दर्द होना, बुखार में अत्यधिक पसीना का आना।
इसके समाधान/उपाय/निराकरण के लिए पुरे कपड़े पहन कर रखे, घर से बाहर खेतो में जाते समय जुते पहने, घर के आस-पास साफ सफाई रखे। गाजर घास का नष्टीकरण करे, चिकित्सक की राय लेकर चिकित्सकीय परामर्श से पुर्ण उपचार लिया जाना सुनिश्चित करे, गन्दा पानी इकठ्ठा नहीं होने दे तथा जानवरों की व बाडो में साफ सफाई रखे।
यह फैले नहीं इसके लिए व्यस्त मार्ग व पार्क या उंची, घनी घास में नही जावे, घर के आस पास झाड़िया नहीं उगने देवे, पुराने टायर, मटका एवं गमलों में पानी जमा होतो खाली कर नया पानी भरे तथा साफ सफाई का पूर्ण ध्यान रखे।
स्क्रब टायफस रोग के सेम्पल जांच की सुविधा एसएमएस मेडिकल कालेज जयपुर एंव कोटा मेडिकल कालेज में उपलब्घ है। बीमारी के उपचार हेतु डोक्सीसाईक्लीन एंव एजीथ्रोमाईसीन है। एन्टीलार्वल गतिविधिया (वीटीआई छिडकाव,एमएलओ(क्रुड आयल) का छिड़काव व पायरेथियम का फोकल स्प्रे तथा डीडीटी स्प्रे किया जाता है। घबराये नही तुरन्त चिकित्सक से सलाह/राय/उपचार लेवे। सावधानी ही बचाव है।
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